झीरम कांड : राज्यपाल को सौंपी गई 4184 पेज की जांच आयोग की रिपोर्ट, कांग्रेस ने कहा – रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपना तय प्रक्रिया का उल्लंघन, जनता षड्यंत्रकारियों को बेनकाब होते देखना चाहती है

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रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके को झीरम घाटी जांच आयोग की रिपोर्ट सौंपी गई। यह रिपोर्ट आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने सौंपी। यह प्रतिवेदन 10 वाल्यूम और 4184 पेज में तैयार किया गया है। कांग्रेस ने कहा कि झीरम नर संहार के लिए गठित न्यायिक आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंप कर तय‌ और मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन किया‌ गया है। प्रदेश की जनता इस मामले के पीछे के षड्यंत्रकारियों को बेनकाब होते देखना चाहती है।

राज्यपाल को सौंपी गई 4184 पेज की जांच आयोग की रिपोर्ट :
राज्यपाल अनुसुईया उइके को झीरम घाटी जांच आयोग की रिपोर्ट सौंपी गई। यह रिपोर्ट आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने सौंपी। यह प्रतिवेदन 10 वाल्यूम और 4184 पेज में तैयार किया गया है। यह आयोग छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा के अध्यक्षता में गठित किया गया था। श्री मिश्रा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे तथा वर्तमान में आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश है। झीरम घाटी की घटना 25 मई 2013 को हुई थी। इस घटना की जांच के लिए आयोग का गठन 28 मई 2013 को किया गया था। उल्लेखनीय है कि बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक नंदकुमार पटेल के काफिले पर हमला किया था। जिसमें नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा सहित अन्य लोग शहीद हो गए थे। इस घटना में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल हुए थे। जिनका बाद में इलाज के दौरान निधन हो गया था।

रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपना तय प्रक्रिया का उल्लंघन, जनता षड्यंत्रकारियों को बेनकाब होते देखना चाहती है :

कांग्रेस ने कहा कि झीरम नर संहार के लिए गठित न्यायिक आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंप कर तय‌ और मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन किया‌ गया है। प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सामान्यतया जब भी किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है तो आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है। झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं दे रहा है।

उन्होंने कहा जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था तीन महीने के लिए गठित आयोग को जांच में 8 साल कैसे लग गया ?आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट रिपोर्ट तैयार नहीं है इसमें समय लगेगा। जब रिपोर्ट तैयार नहीं थी आयोग इसके लिए समय मांग रहा था फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गयी? यह भी शोध का विषय है।

सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि झीरम हमले में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं की एक पूरी पीढ़ी सहित 31 लोगों को खोया है। झीरम देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा राजनैतिक हत्या कांड था। इस हमले की पीछे की पूरी सच्चाई सामने आनी ही चाहिए। कांग्रेस हमेशा ही इस नरसंहार के षडयंत्र की जांच की मांग करती रही है। इस पूरे मामले में पूर्ववर्ती सरकार की और एनआईए की भूमिका संदिग्ध रही है। उन्होंने कहा है कि पार्टी राज्य सरकार से मांग करती है कि यदि झीरम कांड के व्यापक जांच के लिए एक वृहत न्यायिक जांच आयोग का गठन कर जीरम की षड्यंत्र की नए सिरे से जांच करवाई जाए। प्रदेश की जनता इस मामले के पीछे के षड्यंत्रकारियों को बेनकाब होते देखना चाहती है।


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