यूनिक एचयूआईडी प्रणाली में सिंगल पीस ज्वेलरी में हॉलमार्किंग करा पाना सराफा कारोबारियों के लिए असंभव: हरख मालू

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रायपुर। पिछले माह 20 जुलाई को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल एवं केंद्रीय ब्यूरो प्रमुख प्रमोद तिवारी के नाम बीआईएस छत्तीसगढ़ राज्य प्रमुख वी. गोपीनाथन को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन इसके बाद भी अभी तक केंद्र सरकार द्वारा उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया। इसके बाद एक बार फिर से रायपुर सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हरख मालू ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल एवं भारतीय मानक ब्यूरो के डायरेक्टर जनरल प्रमोद तिवारी को पत्र लिखकर कहा है कि वे सोने के जेवर में लगने वाले हॉलमार्किंग की अनिवर्यता का स्वागत करते है लेकिन हॉलमार्किंग यूनिक एचयूआईडी का वे पुरजोर विरोध करते हैं क्योंकि इससे ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में कारोबार करने वाले व्यापारी इस जटिल प्रक्रिया को समझ नहीं पा रहे है। वहीं सिंगल पीस ज्लेवरी के आर्डर पर हॉलमार्किंग करा पाना सराफा कारोबारी के लिए असंभव होगा, इसके साथ ही एचयूआईडी प्रणाली में आम नागरिक ज्वेलरी की अदला-बदली भी नहीं करा सकते। वहीं पुराने हॉलमार्क जेवर की जानकारी व हॉलमार्किंग की अनिवार्यता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया ताकि इस व्यावसाय से जुड़े कारोबारी, कारीगर अपना व्यवसाय आसानी से कर सकें और आम नागरिक बेझिझक ज्वेलरी खरीद व बेच सकें। इसके अलावा सराफा कारोबारियों पर सजा के प्रावधान को भी खत्म किया जाए। यूनिक एचयूआईडी प्रणाली से सामान्य कारोबारियों तो परेशान हैं वहीं इस प्रणाली से पूरा व्यापार कॉरपोरेट सेक्टर को चला जाएगा।

मंत्री गोयल और डायरेक्टर जनरल तिवारी को लिखे पत्र के बारे में जानकारी देते हुए अध्यक्ष हरख मालू, पवन अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण लाहोटी, प्रह्लाद सोनी एवं अनिल कुचेरिया ने बताया कि केंद्र सरकार की मंशा है कि प्रमाणिकता के आधार पर सोने के जेवर बेचे जाएं और सराफा व्यापारी प्रारंभ से ही प्रमाणिकता के आधार पर व्यवसाय पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं। प्रत्येक जेवर में प्रमाणिकता की मोहर लगी रहती है। वहीं केंद्र सरकार ने 16 जून से हॉलमार्किंग की अनिवार्यता को लागू भी कर दिया है जिसका सभी कारोबारी स्वागत करते है लेकिन यूनिक एचआईयूडी प्रक्रिया का वे पूरजोर विरोध करते हैं। इसे वापस लेने की मांग करते हैं क्योंकि इससे सामान्य सराफा व्यापारी के साथ ही इससे जीवंत जुड़े सराफा कारोबारी और कारीगर परेशान हो रहे है। यूनिक एचआईयूडी से व्यापार करने की मूलभूत सिद्धांत का पूर्णता हनन होगा और सराफा व्यवसाय देश के चंद कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथों में चला जाएगा। सामान्य व्यापारी एवं कारीगर के बारे में न तो केंद्र सरकार, भारतीय मानक ब्यूरो और ना ही राष्ट्रीय स्तर के सराफा के बड़े कॉरपोरेट सदस्यों ने इस बारे में कभी सोचा है। क्योंकि इस जटिल प्रक्रिया से जेवर की लागत बढ़ेगी और उसका पूरा भार आम नागरिकों पर पड़ेगा और जेवर महंगा हो जाएगा। वहीं ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सराफा कारोबार करने वाली कारोबारियों को यूनिक एचआईयूडी प्रक्रिया ही समझ नही आ रही है और इस जटिल प्रक्रिया में व्यापार करना उनके लिए असंभव हो गया है। क्योंकि संविधान की मूल धारणा में व्यापारी को व्यापार करने के मूल अधिकार की अवधारणा के विपरीत है और यूनिक एचआईयूडी प्रणाली से व्यापारी के मूल अधिकार का हनन हो रहा है।

हरख मालू ने गोयल और तिवारी से मांग करते हुए जेवर पर हॉलमार्किंग की प्रक्रिया को फस्र्ट पॉइंट पर ही लागू किया जाए जहां उसका निर्माण हो रहा है या जिसके द्वारा प्रथम विक्रय किया जा रहा है, वहीं पर हॉल मार्किंग की जानी चाहिए ताकि रिटेल व्यापारियों को दिक्कत ना हो। श्री मालू ने कहा कि यूनिक एचयूआईडी प्रणाली के पहले जहां एक हॉलमार्किंग सेंटर पर प्रतिदिन लगभग 1000 नग ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग होती थी लेकिन यूनिक एचयूआईडी प्रणाली के आ जाने से अब 150 नग प्रतिदिन के आसपास ज्वलेरी की हॉलमार्किंग हो रही है और इस कारण सराफा कारोबारियों को व्यावसाय करने में काफी मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा यूनिक एचयूआईडी प्रणाली में अगर कोई भी उपभोक्ता सिंगल पीस ऑर्डर कर ज्वेलरी बनवाना चाहता है तो उस ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग कराना सराफा कारोबारी के लिए असंभव हो जाएगा। साथ ही ज्वेलरी को अदला – बदली कराना भी किया जा सकेंगा। क्योंकि आम उपभोक्ता अलग-अलग नग को एक करवाकर ज्वेलरी खरीदते या बेचते है इससे कम स्टॉक वाले मध्यम दुकानदारों का व्यापार सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। यूनिक एचयूआईडी प्रणाली में सराफा कारोबारिया पर सजा का प्रावधान लागू किया गया है जिसे तत्काल प्रभाव से किया जाए।

इसके अलावा पुराने हॉलमार्क जेवर की जानकारी एवं सभी सराफा कारोबारियों को हॉलमार्क कराने की अनिवार्यता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया ताकि आम नागरिक आसानी से अपना जेवर खरीद व बेच सकें और व्यापारी भी बेझिक अपना कारोबार करते रहे। पुराने स्टॉक को गलाकर नया बनाने पर लगभग 10 प्रतिशत आर्थिक नुकसान होगा और इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी, क्या नुकसान को आयकर विभाग आय में से कम कर बाकी पर आयकर आकलन करेगा, यह आर्थिक नुकसान कब और किस पर पड़ेगा इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।


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